Khatima Golikand : जानिए कैसे हुई थी राज्य आंदोलनकारियों के साथ बर्बरता, सुनकर आज भी कांप उठती हैं रूह

 

Khatima Golikand 1994 : आज 1 सितंबर खटीमा गोलीकांड की 29वी बरसी है, साल 1994 में आज ही के दिन अपना अलग राज्य मांगने के दौरान पुलिस ने मासूम आंदोलकारियों पर गोलियां बरसा दीं थी - जिसमें सात आंदोलनकारी शहीद हो गए, जबकि सैकड़ों लोग घायल हो गए। 

<a href=https://youtube.com/embed/CNT5GhhPVj8?autoplay=1&mute=1><img src=https://img.youtube.com/vi/CNT5GhhPVj8/hqdefault.jpg alt=""><span><div class="youtube_play"></div></span></a>" style="border: 0px; overflow: hidden"" title="YouTube video player" width="560">

उत्तराखंड के इतिहास में आन्दोलन के दमन की यह घटना है. इस घटना में शहीद आन्दोलनकारियों के नाम हैं - प्रताप सिंह, सलीम अहमद, भगवान सिंह, धर्मानन्द भट्ट, गोपीचंद, परमजीत सिंह, रामपाल, भुवन सिंह शहीद हुए थे. साल 1994 में 'राज्य नहीं तो चुनाव नहीं' नारे का दौर था। ले मशालें चल पड़े हैं, लोग मेरे गांव के, अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गांव के गीत पर पृथक राज्य की मांग को लेकर मशाल जुलूस निकाले जा रहे थे। आज भी वो दिन याद कर दिल कांप जाता है जब एक सितंबर 1994 को खटीमा में गोली कांड (Khatima Movement Golikand 1994) को अंजाम दिया गया था। खटीमा गोली कांड के विरोध में जब दो सितंबर 1994 को मसूरी में विरोध-प्रदर्शन किया जा रहा था तो यहां भी निहत्थों पर गोलियां चला दी गईं। खटीमा, मसूरी के लोग आज भी पुलिस की यह बर्बरता नहीं भूल पाते हैं।