Kedarnath Dham - बाबा केदारनाथ के दर को चली डोली, 10 मई को खुलेंगे कपाट, जानिए छह महीने कहां रहते हैं बाबा केदार

 

Kedarnath Dham - भगवान केदारनाथ की चल उत्सव विग्रह डोली ने आज सोमवार को अपने हिमालय स्थित केदारनाथ धाम (Kedarnath Yatra 2024) के लिए प्रस्थान किया।सोमवार सुबह पूजा अर्चना के बाद डोली को मंदिर के गर्भ गृह से बाहर सभा मंडप में विराजमान किया। जिसमें हक हकूकधारियों की ओर से भगवान की चल उत्सवह विग्रह डोली का श्रृंगार किया गया।  इसके बाद मंदिर की तीन परिक्रमा कर डोली ने अपने अगले गंतव्य की ओर प्रस्थान किया। सोमवार को डोली गुप्तकाशी स्थित काशी विश्वनाथ मंदिर में रात्रित विश्राम करेगी। इसके बार छह मई को फाटा, सात को गुप्तकाशी और नौ मई को डोली केदारनाथ धाम पहुंचेगी। जबकि 10 मई को भगवान केदारनाथ धाम के कपाट आम श्रद्धालुओं के दर्शनाथ के लिए खोले जाएंगे।


छह महीने कहाँ रहती है बाबा केदार की डोली - 
हर वर्ष शीतकाल में केदारनाथ धाम के कपाट दिवाली के दो दिन बाद भाई दूज के अवसर पर बंद कर दिये जाते हैं। लिहाजा शीत ऋतु में भारी बर्फबारी के कारण केदारनाथ धाम के सभी रास्ते छह महीने के लिए बंद हो जाते हैं। मंदिर अप्रैल या मई में फिर से खुलता है। जबकि मंदिर सर्दियों के दौरान बंद रहता है, मूर्ति को उखीमठ में स्थानांतरित कर दिया जाता है और अप्रैल या मई के दौरान फिर से स्थापित किया जाता है।


केदारनाथ के बराबर ही मिलता है फल - 
समुद्र तल से 1311 मीटर की ऊंचाई पर मौजूद ऊखीमठ में मौजूद ओंकारेश्वर मंदिर को प्रथम केदार भगवान माना जाता है. दूसरे केदार भगवान मध्यमेश्वर का शीतकालीन गद्दीस्थल भी ऊखीमठ में ही है. इसे पंचगद्दी स्थल के नाम से भी जाना जाता है. प्राचीन मान्यताओं की वजह से ही इस जगह को पंचकेदार के मुख्य रावल का गद्दी स्थल माना जाता है.
मान्यता है शीतकाल में जो भक्त बाबा केदार के दर्शन पंचगद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ में दर्शन करते हैं, उन्हें भी केदारनाथ धाम में दर्शनों के समान पुण्य प्राप्त होता है। पूरे शीतकाल के दौरान केदारनाथ की तरह यहां भी बाबा केदार की नित्य पूजाएं संपन्न होती हैं.