"हल्द्वानी - दीपक बल्यूटिया ने सरकार पर साधा निशाना, विदेशों में इलाज की नीति पर नाराज़गी"

 

हल्द्वानी - (निधि अधिकारी) आज 22 अगस्त 2024 को कॉंग्रेस प्रदेश प्रवक्ता दीपक बल्यूटिया ने उत्तराखंड सदन में सरकार की तदर्थ समिति की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें विधायकों और उनके आश्रितों के विदेशों में सरकारी खर्च पर इलाज की बात की गई। 

बल्यूटिया ने कहा वर्तमान व पूर्व विधायक और उनके आश्रितों को सरकारी खर्च पर विदेशों में इलाज के साथ कैशलेस इलाज तथा भत्तों में 30 हजार प्रतिमाह तक इजाफे की रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि सरकार को आम जन की समस्या से कोई सरोकार नहीं है। पहाड़ों में आए दिन स्वास्थ व्यवस्थाओं के चलते बेकसूर लोगों की जान जा रही है। चिकित्सा, शिक्षा, पेयजल, बिजली, रोड सुरक्षा, महिला सुरक्षा आदि जनता का संवैधानिक अधिकार है जिसकी सरकार की जिम्मेदारी है। मगर सरकार हर मोर्चे में विफल रही है।उत्तराखण्ड की भोली- भाली जनता ने जिस सरकार व विधायकों को अपने ज़ख्म भरने के लिए चुना आज वही सरकार उनके घावों में मरहम लगाने की बजाय उनके घावों पर नमक छिड़कने का काम कर रही है ।अपनी और अपने परिवार की चिंता में ऐसे निर्णय लेने को विवश है। जहां सरकार ने सदन में उत्तराखंड में आम जनता को अच्छी व सस्ती चिकित्सा उपलब्ध कराने के लिए आधुनिक तकनीक  व उपकरणों से सुसज्जित अस्पताल बनाने की बात रखनी चाहिये थी वहाँ सरकार अपनी व अपने आश्रितों की चिंता में विदेश में इलाज की बात सरकारी खर्च में कर रही है जिससे आम जनता ठगा महसूस कर रही है।

वही उन्होंने ने कहा, बेहतर होता सरकार उत्तराखंड में स्वस्थ व्यवस्थाओं को इतना दूरस्त करती कि विदेशों से भी लोग यहाँ इलाज कराने आते, जिससे प्रदेश की आय बढ़ती और उस आय से उत्तराखंड वासियों को अच्छा व सस्ता इलाज मिलता। उन्होंने कहा, लोग विदेशों से भारत में दिल्ली, मुंबई, पंजाब आदि राज्यो में अच्छे व सस्ते इलाज के लिए आते है। दुनिया के मुकाबले भारत के चिकित्सक ज्यादा काबिल हैं जरूरत है तो अस्पतालों को नई तकनीक की मशीनों से सुसज्जित करने, उनको सुरक्षा व सुविधा देने की। बजाय अस्पतालों को विकसित करने के विधायकों व उनके आश्रितों को विदेश में इलाज की सोच से पता चलता है कि सरकार के पास उत्तराखंड को लेकर कोई विजन नहीं है।

वहीं, सरकार ने साफ कर दिया कि उत्तराखंड में स्वस्थ व्यवस्था ध्वस्त है आम जन मरती है तो मरे मगर मानानियों का इलाज विदेशों में ही होगा।