Ajay Tamta Mos - उत्तराखंड की झोली में आया यह विभाग, जानिए केंद्रीय राज्य मंत्री अजय टम्टा को मिला कौन सा डिपार्टमेंट
Ajay Tamta MOS - राजनीती सितारों का ही तो खेल है, सियासत में कौन कब फर्स से अर्श तक पहुंच जाये कहा नहीं जाता, केंद्र में तीसरी बार मोदी सरकार बन गई है. लिहाजा अल्मोड़ा संसदीय लोकसभा सीट से हैट्रिक मारने वाले अजय टम्टा एक बार फिर केन्द्र की मोदी सरकार में मंत्री बन गए हैं. उन्हें सड़क और परिवहन राज्य मंत्री (Ajay Tamta was made Minister of State for Roads and Transport) बनाया गया है. अब वह केंद्रीय सड़क और परिवहन मंत्री नितिन गड़करी के साथ काम करेंगे। राज्य मंत्री और अल्मोड़ा से सांसद अजय टम्टा पीएम मोदी की पहली सरकार में भी कपडा राज्य मंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं.
टम्टा 2014 में बीसी खंडूड़ी और भगत सिंह कोश्यारी जैसे दिग्गजो को पछाड़ कर केंद्र में मंत्री बने थे, अब एक बार फिर अजय भट्ट, त्रिवेंद्र सिंह रावत और अनिल बलूनी जैसे दिग्गजों को साइड लाइन कर केंद्र में धाक जमा डाली है. सियासी जानकारों के मुताबिक अजय टम्टा को दलित चेहरा होने का फायदा मिला है, सूत्रों के मुताबिक इस बार देश भर में दलित समाज के लोगों ने बीजेपी से मुँह मोड़ लिया था, इंडिया गठबंधन को भाजपा का यही वोट बैंक शिफ्ट होना भी बीजेपी के कई सीटों में हार का कारण रहा.
अपनी निर्विवाद छवि से भाजपा नेतृत्व के भरोसे को जीतने पर अजय टम्टा कामयाब हुए। उन्होंने ऐतिहासिक जीत हासिल कर हैट्रिक बना दी है. संघ बैकग्राउंड से ताल्लुक रखने वाले टम्टा ने काफी कम समय में अपना राजनीतिक कद बढ़ाया, अजय टम्टा 2014 में 94, 895 मतों से चुनाव जीतकर पहली बाद संसद पहुंचे, 2014 में सांसद बनने के बाद साल 2016 में उन्हें केंद्रीय कपड़ा राज्य मंत्री बनाया गया. 2019 के लोकसभा चुनाव में भी शानदार प्रदर्शन रहा था, उन्होंने 2,32,987 वोटों से प्रदीप टम्टा को हराया था. 2 लाख 34 हजार वोटों से जीतकर उन्होंने फिर हैट्रिक मार ली है.
महज 23 वर्ष की उम्र में राजनीति में कदम रखने वाले अजय टम्टा ने जिला पंचायत सदस्य से अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की, संघ के करीबी रहने वाले टम्टा ने काफी कम समय में अपना राजनीतिक कद बढ़ाया । साल 1996 में जिला पंचायत के सदस्य के रूप में अपने राजनीतिक जीवन की शुरूआत की। जिपं चुनाव जीतने के बाद उन्हें जिला पंचायत का उपाध्यक्ष बनाया गया। वर्ष 1999 में सबसे कम उम्र के जिला पंचायत अध्यक्ष बने. राज्य बनने के बाद वर्ष 2002 में विधानसभा के चुनाव हुए तो अजय टम्टा ने सोमेश्वर से अपनी दावेदारी की. लेकिन पार्टी से टिकट नही मिला, टम्टा ने भाजपा से बगावत कर निर्दलीय चुनाव लड़ा हालाँकि इस चुनाव में टम्टा को हार का सामना करना पड़ा,
वर्ष 2007 के विधानसभा चुनावों में भाजपा ने उन पर दांव खेला टम्टा ने सोमेश्वर सीट से जीत का परचम लहरा दिया, तत्कालीन खंडूड़ी सरकार में वह उद्यान और जेल मंत्री बने. 2009 में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा लेकिन जीत की दहलीज तक पहुंचने से चूक गए। 2012 में उन्होंने फिर सोमेश्वर सीट से विधानसभा चुनावों में जीत दर्ज की. 2014 में केंद्र की राजनीति में सक्रिय हैं.