विश्वविद्यालयों की मदद से देशवासी जान सकेंगे 1947 में हुए विभाजन की विभीषिका
यूजीसी ने विश्वविद्यालयों को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस पर विभिन्न आयोजन करने के लिए यह आधिकारिक पत्र जारी किया है। यूजीसी के अध्यक्ष प्रो. एम. जगदीश कुमार ने कहा कि प्रधानमंत्री ने पिछले साल 14 अगस्त को 1947 में विभाजन के दौरान लाखों भारतीयों के कष्टों और बलिदानों की देश को याद दिलाने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। इसका उद्देश्य यह है कि हम सामाजिक विभाजन, असामंजस्य के जहर को दूर करें और एकता, सामाजिक सद्भाव और मानव सशक्तिकरण की भावना को और मजबूत करें।
यूजीसी के सचिव प्रोफेसर रजनीश जैन द्वारा जारी किए गए इस पत्र में विभिन्न विश्वविद्यालयों से कहा गया है कि जैसा कि आप जानते हैं कि प्रधान मंत्री ने 15 अगस्त, 2021 को अपने भाषण में 14 अगस्त को विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के रूप में याद करने की घोषणा की थी। आजादी का अमृत महोत्सव के इस वर्ष में, जब देश को स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, पूरे देश में विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस के तौर पर याद किया जा रहा है। विभाजन के पीड़ित लाखों लोगों की पीड़ा, पीड़ा और दर्द को प्रकाश में लाने के लिए विभाजन विभीषिका स्मृति दिवस की परिकल्पना की गई है।
यूजीसी के मुताबिक यह देश को पिछली सदी में मानव आबादी के सबसे बड़े विस्थापन की याद दिलाने के लिए है, जिसने बड़ी संख्या में लोगों के जीवन की हानि हुई थी। विभाजन प्रभावित लोगों की पीड़ाओं को प्रदर्शित करने के लिए भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद (आईसीएचआर) और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र (आईजीएनसीए) द्वारा संयुक्त रूप से एक प्रदर्शनी आयोजित की गई है। यह प्रदर्शनी, अंग्रेजी और हिंदी में, वेबसाइट पर डिजिटल प्रारूप में उपलब्ध है।
यूजीसी ने कहा है कि सभी विश्वविद्यालयों और उनके कॉलेजों से अनुरोध है कि प्रदर्शनी को 10 से 14 अगस्त, 2022 के दौरान प्रमुख स्थानों पर प्रदर्शित करें, जहां बड़ी संख्या में लोग इसे देख सकें। मुद्दे की संवेदनशीलता को समझते हुए, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि प्रदर्शनी को उस संयम और गंभीरता के साथ प्रदर्शित किया जाए जिसके वह हकदार हैं।
--आईएएनएस
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