मुंबई हमले के बाद कितनी बदली देश की आंतरिक सुरक्षा

नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। 26 नवंबर 2008 का वो दिन कौन भूल सकता है, जब पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खून की होली खेली थी। तब से लेकर अब तक इस हमले के जख्म तो पूरी तरह नहीं भरे हैं, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा में कई अहम बदलाव जरूर हुए हैं।
 
नई दिल्ली, 27 नवंबर (आईएएनएस)। 26 नवंबर 2008 का वो दिन कौन भूल सकता है, जब पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में खून की होली खेली थी। तब से लेकर अब तक इस हमले के जख्म तो पूरी तरह नहीं भरे हैं, लेकिन देश की आंतरिक सुरक्षा में कई अहम बदलाव जरूर हुए हैं।

इस हमले से सबक लेते हुए हमारी सरकारों ने सुरक्षा के अब इतने पुख्ता इंतजाम कर दिए हैं कि 26/11 जैसा हमला दोहराना किसी भी आतंकी संगठन के लिए नामुमकिन है।

26/11 हमले के बाद देश की आंतरिक सुरक्षा पर कई सवाल खड़े हुए थे। इसे सुरक्षा एजेंसियों की नाकामी भी माना गया था। इसके बाद चाहे वो समुद्री सुरक्षा हो या एजेंसियों के बीच आपसी समन्वय या फिर सुरक्षा बलों को आधुनिक हथियारों से लैस करने की बात हो। आज भारत ने इन सब चीजों पर बेहतर काम किया है। आइए जानते हैं, देश की आंतरिक सुरक्षा में कितना बदलाव आया है।

मुंबई हमले के दौरान आतंकी नाव में बैठकर पाकिस्तान के कराची से समुद्र के रास्ते मुंबई पहुंचे थे। जितनी आसानी से आतंकी देश की सीमा में दाखिल हुए थे, वो भारत के सुरक्षा तंत्र के लिए बड़ा झटका था। ऐसे में मुंबई हमले के बाद तटीय सुरक्षा को पुख्ता करने के लिए कई कदम उठाए गए हैं।

भारतीय नौसेना, कोस्टगार्ड और मरीन पुलिस तीनों से पूरे देश के तटीय इलाकों में एक ऐसी त्रिस्तरीय सुरक्षा व्यवस्था तैयार की गई है, जिससे कोई भी संदिग्ध गतिविधि बच नहीं सकती। यह त्रिस्तरीय सुरक्षा एकीकृत इकाई के तौर पर काम कर सके उसके लिए भारत सरकार ने साल 2014 में इन्फोर्मेशन मैनेजमेंट एंड एनालिसेस सेंटर का गठन किया।

इसका काम यह सुनिश्चित करना है कि 26/11 के हमले जैसी घटना दोबारा न हो सके। यह समुद्रतटीय सुरक्षा की जानकारी को जमा करने और अलग-अगल जगहों तक पहुंचाने के लिए नोडल सेंटर की तरह काम करता है। इसके अलावा भारतीय कोस्ट गार्ड के डीजी को कोस्टल कमांड के कमांडर का दर्जा दिया गया है, जो केंद्रीय और राज्य की एजेंसियों के बीच समन्वय का काम करते हैं।

वहीं भारतीय नौसेना की ताकत में भी 2008 के मुकाबले काफी इजाफा हुआ है। भारतीय सेना की रडार प्रणाली को काफी मजबूत किया गया है, जिससे नौसेना समुद्र में पैनी नजर रख पा रही है। सरकार ने कई पेट्रोलिंग नाव और सर्विलांस उपकरण की खरीद भी की है, जिससे तटीय सुरक्षा को चाक-चौबंद किया जा सके।

गृह मंत्रालय के मुताबिक 26/11 हमले के बाद समुद्री इंफ्रास्ट्रक्च र बनाने की दिशा में कोस्टल सिक्युरिटी स्कीम फेज-2 की शुरूआत की गई है। इसके तहत 121 कोस्टल पुलिस स्टेशन बनाए गए हैं। वहीं साल 2021 तक 35 जेट्टी और 10 मरीन ऑपरेशनल सेंटर स्थापित हो चुके हैं। इसके अलावा पेट्रोलिंग के लिए 131 चार पहिया वाहन और 242 मोटरसाइकिल भी खरीदी जा चुकी हैं। वहीं सरकार ने कोस्टल मैपिंग की शुरूआत भी की है। इसके जरिए मैपिंग कर समुद्री सुरक्षा से जुड़ी हर एक चीज पर निगरानी रखी जा रही है।

सरकार ने समुद्र में मछली पकड़ने के लिए जाने वाले मछुआरों की नावों का भी ट्रैकिंग सिस्टम बनाया है। इस सिस्टम के तहत हर मछुआरे को एक बायोमीट्रिक कार्डस जारी किए गए हैं। कई राज्यों में यह सिस्टम लागू हो गया है। ऐसे में कोस्ट गार्ड या नेवी किसी भी नाव पर शक होने पर उसका बायोमीट्रिक कार्ड चेक कर पहचान की जांच कर सकती है।

मुंबई हमले के बाद महाराष्ट्र सरकार ने कमांडों की एक स्पेशल फोर्स का गठन किया था। जिसे फोर्स वन नाम दिया गया गया है। फोर्स वन के जवानों की ट्रेनिंग एनएसजी जवानों की ट्रेनिंग की तर्ज पर होती है।

इनके अलावा एनएसजी को भी पहले के मुकाबले ज्यादा बेहतर बनाया गया है। 2008 के बाद अब एनएसजी के देश में 5 जगहों -- मुम्बई, चेन्नई, हैदराबाद, कोलकाता और गांधीनगर में क्षेत्रीय केंद्र काम रहे है। ताकि कहीं भी हमला होने की स्तिथि में रिस्पॉन्स टाइम को कम किया जा सके।

वहीं एनएसजी जवानों की समय-समय पर देश के विभिन्न हिस्सों में मॉकड्रिल आयोजित होती रहती है, ताकि वह किसी भी परिस्थिति में हमेशा तैयार रहें। गौरतलब है कि एनएसजी कमांडो मुंबई हमले के समय हवाईअड्डे पर आठ घंटे तक इंतजार करते रह गए थे और उन्हें विमान नहीं मिला था। इस तरह की खामियों को भी दूर किया गया है। सरकार ने एनएसजी को विशेष अधिकार दिया है, जिससे आपातकालीन समय में किसी भी ऑपरेटर से विमान लिया जा सकता है।

पाकिस्तान से अपनी आतंकी गतिविधियां चलाने वाले संगठन सोशल मीडिया के जरिये धार्मिक कट्टरता फैलाने और फंड इकठ्ठा करने का काम करते हैं। इसको देखते हुए भारतीय खुफिया एजेंसियों ने सोशल मीडिया पर भी इन संगठनों की घेराबंदी की है। एक्सपर्ट की टीमें सोशल मीडिया पर लगातार निगरानी करने और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल लोगों को चिन्हित कर कड़ी कार्यवाही कर रही हैं।

मुंबई हमले के बाद सबसे सफल प्रयोग राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के गठन का रहा। 31 दिसंबर 2008 को स्थापना के बाद से ही एनआईए न सिर्फ आतंकी हमलों, नकली भारतीय नोटों के कारोबार के मामलों की सफलतापूर्वक जांच कर रही है, बल्कि जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत के आतंकी संगठनों, देश विरोधी संगठनों और नक्सलियों के फंडिंग नेटवर्क के खिलाफ भी प्रभावी तरीके से जांच कर रही है।

कई राज्यों में इसके क्षेत्रीय कार्यालय खोले जा चुके हैं। इन सालों में एनआईए खुद को आतंकरोधी जांच एजेंसी के रूप में पूरी तरह स्थापित करने में सफल रही है।

भारत अब आतंकवाद के खिलाफ देश में ही नहीं बल्कि वैश्विक मंचों से भी इसके खिलाफ बड़ी लड़ाई की शुरूआत कर चुका है। भारत ने इस साल 3 वैश्विक कार्यक्रमों-दिल्ली में इंटरपोल की वार्षिक आम सभा, मुंबई एवं दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र की आतंकवाद विरोधी कमेटी के एक विशेष सत्र की मेजबानी और नो मनी फॉर टेरर सम्मेलन की मेजबानी की है। इन तीनों सम्मेलनों में सीमा पार आतंकवाद और उससे निपटने के तरीकों पर अहम रणनीति तैयार की गई है। यही नहीं भारत ने इन मंचों से पाकिस्तान को भी बेनकाब भी किया है।

--आईएएनएस

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