मद्रास हाईकोर्ट ने सीएमसी-वेल्लोर में कथित रैगिंग पर स्वत: संज्ञान लिया
अदालत ने सीएमसी वेल्लोर के प्रबंधन को दो सप्ताह के भीतर रैगिंग की घटनाओं पर एक रिपोर्ट देने का निर्देश दिया।
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश, न्यायमूर्ति टी. राजा और न्यायमूर्ति डी. कृष्णकुमार की खंडपीठ ने कहा कि सीएमसी वेल्लोर जैसे प्रतिष्ठित मेडिकल कॉलेज में इस तरह की घटनाएं प्रतिष्ठित संस्थान से छात्रों को दूर कर देंगी। इसने यह भी पूछा कि शैक्षणिक संस्थानों में ऐसी घटनाओं को रोकने की जिम्मेदारी किसकी थी।
खंडपीठ ने कहा कि यदि छात्र अनुशासन का पालन नहीं कर रहे हैं तो स्वर्ण पदक और अकादमिक उत्कृष्टता जीतने का कोई मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा, हम भविष्य के बारे में चिंतित हैं। डॉक्टर एक महान पेशे से जुड़े हैं, जिसे दिव्य माना जाता है। जब कोई व्यक्ति जीवन के लिए लड़ रहा है, तो भगवान के बाद केवल एक डॉक्टर ही उसे बचा सकता है।
सीएमसी वेल्लोर की ओर से पेश वकील ने कहा कि घटना की सूचना के तुरंत बाद सात वरिष्ठ छात्रों को निलंबित कर दिया गया था और कॉलेज की शिकायत के आधार पर बगयम पुलिस स्टेशन में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
कॉलेज ने यह भी कहा कि यदि कॉलेज और पुलिस द्वारा शुरू की गई जांच के बाद छात्रों को रैगिंग करते पाया गया तो उन्हें कॉलेज से निष्कासित कर दिया जाएगा।
जूनियर छात्रों को अर्ध-नग्न परेड करने और फर्श पर कुछ शारीरिक कार्य करने के लिए मजबूर करने की एक वीडियो क्लिपिंग वायरल हुई थी। एक डॉक्टर ने इस वीडियो क्लिपिंग को ट्वीट किया था और फिर कॉलेज हरकत में आया और सात सीनियर छात्रों को सस्पेंड कर दिया।
एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्रों ने शिकायत की थी कि उन्हें रैगिंग और शारीरिक प्रताड़ना और यहां तक कि यौन शोषण का भी शिकार होना पड़ा।
--आईएएनएस
एसजीके