केदारनाथ एवलांच: एक बार फिर केदारनाथ मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर हुआ भूस्खलन, श्रद्धालुओं की थमी सांसे

रुद्रप्रयाग, 8 जून (आईएएनएस)। केदारनाथ में एक बार फिर से एवलांच की घटना हुई है। इस बार भी मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर एवलांच हुआ। ये घटना धाम से महज तीन से चार किमी दूर घटी है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इस एवलांच को देखकर श्रद्धालुओं की सांसे थम गई। पिछले यात्रा सीजन के दौरान भी इन बफीर्ली पहाड़ियों पर तीन बार एवलांच हुआ था। इस बार भी अप्रैल माह में एवलांच की घटना सामने आई थी। केदारधाम में बार बार आ रहे एवलांच पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।
 
रुद्रप्रयाग, 8 जून (आईएएनएस)। केदारनाथ में एक बार फिर से एवलांच की घटना हुई है। इस बार भी मंदिर के पीछे की पहाड़ियों पर एवलांच हुआ। ये घटना धाम से महज तीन से चार किमी दूर घटी है। इसमें किसी भी प्रकार का कोई नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इस एवलांच को देखकर श्रद्धालुओं की सांसे थम गई। पिछले यात्रा सीजन के दौरान भी इन बफीर्ली पहाड़ियों पर तीन बार एवलांच हुआ था। इस बार भी अप्रैल माह में एवलांच की घटना सामने आई थी। केदारधाम में बार बार आ रहे एवलांच पर पर्यावरण विशेषज्ञों ने चिंता जताई है।

आपको बता दें कि, केदारनाथ धाम में इस बार शुरूआत से ही मौसम खराब है। धाम में अभी तक लगातार बर्फबारी हो रही है। जबकि, निचले क्षेत्रों में बारिश जारी है। विगत मई महीने में पैदल यात्रा मार्ग पर जगह-जगह ग्लेशियर भी टूटे। यात्रा भी प्रभावित रही। वहीं, अप्रैल माह के बाद अब जून माह के द्वितीय सप्ताह में धाम में एवलांच आया है। केदारनाथ धाम से तीन से चार किमी दूर स्थित बफीर्ली पहाड़ियों पर आज सुबह एवलांच हुआ। यहां चोटियों से बर्फ पिघलकर बहने लगी। हालांकि, यह एवलांच केदारनाथ धाम से दूर हिमालयी पर्वतों में था। इससे कोई नुकसान नहीं हुआ है। पिछले वर्ष की यात्रा के दौरान भी तीन बार इन्हीं पर्वतों पर एवलांच होने की घटनाएं सामने आई थी, जबकि इस बार अप्रैल माह में भी एवलांच देखने को मिला। उस दौरान भी कोई नुकसान नहीं हुआ था।

पर्यावरण विशेषज्ञ देव राघवेन्द्र बद्री ने कहा केदारनाथ धाम आस्था का केन्द्र है। यह केदारनाथ वन्यजीव अभयारण्य का बहुत बड़ा पार्ट है। यहां हेली कंपनियां अंधाधुंध उड़ाने भर रही हैं। एनजीटी के मानकों का कोई भी हेली कंपनी पालन नहीं कर रही है। लगातार शटल सेवाएं चल रही हैं, जबकि हर दिन सुबह के समय वायु सेना का चिनूक हेलीकॉप्टर भी पुनर्निर्माण का सामान केदारनाथ धाम पहुंचा रहा है। यह हिमालय के लिए घातक है। हेलीकॉप्टर की गर्जना से ग्लेशियरों के चटकने के कई उदाहरण सामने आये हैं। हेली सेवाओं से जहां ग्लेशियरों के टूटने की घटनाएं सामने आ रही हैं, वहीं वन्य जीवों पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है। साथ ही पर्यावरण का स्वास्थ्य भी गड़बड़ा रहा है।

--आईएएनएस

स्मिता/एएनएम