कांग्रेस, सपा में असंतुष्ट नेताओं की नजर गुलाम, शिवपाल पर

लखनऊ, 28 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) में असंतुष्ट तत्व अब अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी पार्टियों के बागी नेताओं के अगले कदम की ओर देख रहे हैं।
 
लखनऊ, 28 अगस्त (आईएएनएस)। उत्तर प्रदेश कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) में असंतुष्ट तत्व अब अपने भविष्य को सुरक्षित करने के लिए अपनी पार्टियों के बागी नेताओं के अगले कदम की ओर देख रहे हैं।

गुलाम नबी आजाद, जो हाल ही में कांग्रेस से बाहर हुए और शिवपाल सिंह यादव, जिन्होंने सपा से नाता तोड़ लिया है, पर कांग्रेस और सपा के कार्यकर्ताओं पर नजर है।

जहां यूपी कांग्रेस के प्रवक्ता पार्टी छोड़ने के लिए गुलाम नबी आजाद की आलोचना कर रहे हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में प्रियंका गांधी वाड्रा के नेतृत्व से मोहभंग हो चुके पार्टी के नेता आजाद के अगले कदम का इंतजार कर रहे हैं।

एक वरिष्ठ नेता व पूर्व विधायक ने कहा, यह लगभग नब्बे के दशक की पुनरावृत्ति की तरह लगता है, जब एनडी तिवारी और अर्जुन सिंह ने तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिम्हा राव और तत्कालीन कांग्रेस प्रमुख सीताराम केसरी के साथ मतभेदों के बाद तिवारी कांग्रेस का गठन किया था। इस समय दीवार पर लिखा हुआ है- हम विकल्पों की तलाश करने के लिए बाध्य हैं, जिसे सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा नजरअंदाज कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि वह गुलाम नबी आजाद के अगले कदम का इंतजार कर रहे है।

उन्होंने कहा, हम भाजपा में नहीं जा सकते, क्योंकि हम वैचारिक रूप से असंगत हैं। अगर आजाद एक नई पार्टी बनाते हैं, तो कई लोग उनके साथ शामिल होंगे, क्योंकि आखिरकार वह एक कांग्रेसी हैं।

संयोग से, गुलाम नबी आजाद उत्तर प्रदेश में पार्टी कार्यकर्ताओं से परिचित हैं, क्योंकि उन्होंने राज्य के प्रभारी के रूप में कार्य किया है।

नेता ने आगे कहा कि अगर गुलाम नबी आजाद, आनंद शर्मा और जी-23 के अन्य नेता एक व्यवहार्य विकल्प पेश करते हैं, तो यूपी में कांग्रेस के कई लोग उनके साथ होंगे।

कुछ ऐसा ही हाल समाजवादी पार्टी का भी है जहां अखिलेश यादव जिन नेताओं की अनदेखी कर रहे हैं, वे शिवपाल यादव की ओर देख रहे हैं।

ऐसे ही एक असंतुष्ट नेता ने कहा, अखिलेश यादव मजबूत पसंद-नापसंद के व्यक्ति हैं, आने वाले वर्षो में जिन लोगों को लोकसभा और विधानसभा चुनावों के लिए टिकट मिलने की उम्मीद नहीं है, वे शिवपाल यादव के अगले कदम की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

दिलचस्प बात यह है कि असंतुष्ट तत्व, जो पहले कांग्रेस में शामिल होना चाहते थे, ने अपनी योजना बदल दी है।

सपा के एक पूर्व विधायक, जिन्हें 2022 के विधानसभा चुनाव में टिकट से वंचित कर दिया गया था, ने कहा, यूपी कांग्रेस में स्थिति सपा से भी बदतर लगती है। कांग्रेस में शामिल होना कहावत से आग में जाने जैसा होगा। शिवपाल यादव का इंतजार करना बेहतर है, क्योंकि कम से कम वह सुलभ है।

सपा के इन नेताओं को भी जल्द ही आजम खां के शिवपाल यादव से हाथ मिलाने की उम्मीद है।

एक सूत्र ने कहा, अगर ऐसा होता है, तो शिवपाल को बड़े पैमाने पर मजबूती मिलेगी।

सूत्रों के अनुसार, यूपी में कई कांग्रेस नेता - मुख्य रूप से पूर्व विधायक और यूपीसीसी के पूर्व अध्यक्ष - पहले ही गुलाम नबी आजाद के साथ संचार के चैनल खोल चुके हैं।

ऐसे ही एक नेता ने आईएएनएस से कहा, हमने उनसे एक पार्टी बनाने का आग्रह किया है - शायद आजाद कांग्रेस- और हम सभी का नेतृत्व करें। हमें अब राहुल और प्रियंका की कोटरी संस्कृति से आजादी चाहिए, जिसने पार्टी को नष्ट कर दिया है। हम कुछ करेंगे अगले हफ्ते दिल्ली में उनसे मिलूंगा।

--आईएएनएस

एसजीके