कर्नाटक में हिंदी दिवस मनाने को लेकर विवाद
पूर्व मुख्यमंत्री एच.डी. कुमारस्वामी ने मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई को एक पत्र लिखा है कि हिंदी दिवस मनाना देश के साथ अन्याय होगा।
भाजपा ने उनके पत्र का खंडन करते हुए कहा है कि, कर्नाटक के लोग राजनीतिक मकसद को समझते हैं और वे परवाह नहीं करेंगे।
हालांकि, पुलिस कोई चांस नहीं ले रही है और पूरे राज्य में, खासकर बेंगलुरु में कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित करने का फैसला किया है।
कुमारस्वामी ने कहा कि, देश में हजारों भाषाएं और उप-भाषाएं शामिल हैं और यह 560 प्रांतों का एक महान संघ है जिसमें विभिन्न सामाजिक और सांस्कृतिक लोकाचार एक साथ आने के लिए सहमत हैं।
उन्होंने कहा, इस भूमि पर एक भाषा को तरजीह देना देश का अपमान है। 14 सितंबर को केंद्र सरकार द्वारा प्रायोजित हिंदी दिवस कर्नाटक में जबरदस्ती मनाना सत्तारूढ़ भाजपा द्वारा कन्नड़ियों के साथ विश्वासघात होगा।
उन्होंने बोम्मई से कन्नड़ लोगों की कीमत पर हिंदू दिवस नहीं मनाने का आग्रह किया है।
पत्र का कड़ा खंडन करते हुए राज्य के शिक्षा मंत्री बी.सी. नागेश ने कहा कि, कन्नड़ लोग उनके आह्वान पर कोई ध्यान नहीं देंगे, यह कहते हुए कि 1949 से हिंदी दिवस मनाया जाता रहा है।
नागेश ने कहा कि, इस मुद्दे को अब राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है, कुमारस्वामी हर चीज का फायदा उठाना और उसका राजनीतिकरण करना चाहते हैं।
अगर उनकी विचारधारा यही थी तो उनके पिता पूर्व प्रधानमंत्री एच.डी. देवेगौड़ा को समारोह आयोजित नहीं करना चाहिए था।
नागेश ने आगे कहा कि, हिंदी दिवस समारोह की शुरूआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या भाजपा ने नहीं की है, यह 1949 से मनाया जा रहा है।
उन्होंने कहा, भाजपा सरकार भारत की सभी क्षेत्रीय भाषाओं के विकास के लिए प्रतिबद्ध है।
--आईएएनएस
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