जी-20 शिखर सम्मेलन : तैयारियों पर चर्चा के लिए पर्यटन हितधारक बैठक में शामिल
बैठक में पर्यटन विभाग, नई दिल्ली के उत्तरी क्षेत्र के क्षेत्रीय निदेशक अनिल ओरा ने कहा, मेवाड़ को आतिथ्य, प्राकृतिक झीलें और खूबसूरत पहाड़ियां विरासत में मिली हैं। राजस्थान की पारंपरिक अभिवादन शैली खम्मा घानी और पधारो म्हारे देस को वास्तविकता में अनुवादित करना है।
उन्होंने कहा, देश और दुनिया को यह बताने का अवसर है कि हमने जीवन में क्या सीखा है। यहां मेहमानवाजी में कोई कमी नहीं होनी चाहिए। अलग-अलग देशों से अलग-अलग भाषाओं के लोग इस सभा में भाग लेंगे इसलिए आपको भाषा के साथ अपनी आत्मीयता के साथ खुद को उनके सामने पेश करना होगा।
उन्होंने आगे कहा, इसकी पूरी जिम्मेदारी पर्यटन हितधारकों की है। इस कार्य से प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से जुड़े गाइड, चालक, होटल सहायक, सफाईकर्मी, यहां तक कि पाकिर्ंग मैन, चौकीदार तक की जिम्मेदारी होगी। सम्मेलन में भाग लेने वाले अतिथियों के खाने-पीने का भी ध्यान रखा जाए।
राजस्थान विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. एस.एस. सारंगदेवोत ने कहा, भारत के लिए यह गर्व की बात है कि वह जी-20 बैठक की मेजबानी कर रहा है और गर्व की बात यह है कि यह बैठक मेवाड़ में हो रही है, ऐसे में हमारी जिम्मेदारी और भी बढ़ जाती है। शिखर सम्मेलन की सफलता के लिए हमें टीम के रूप में काम करना होगा।
आईआईटीटीएम ग्वालियर के पूर्व निदेशक संदीप कुलश्रेष्ठ, उप निदेशक पर्यटन शिखा सक्सेना, स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ होटल मैनेजमेंट की प्रिंसिपल संगीता सहगल ने भी बैठक की तैयारियों के संबंध में अपने विचार रखे।
भारत सरकार के पर्यटन मंत्रालय द्वारा उदयपुर के डबोक स्थित महाराणा प्रताप हवाई अड्डे के कार्मिकों एवं अन्य स्टाफ सदस्यों को आयोजन से संबंधित महत्वपूर्ण विषयों की जानकारी दी गई।
--आईएएनएस
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