Bareilly-महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को पुण्‍यतिथि पर नारायण कॉलेज में दी गई श्रद्धांजलि

न्यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की पुण्यतिथि पर शनिवार को रिठौरा स्थित नारायण कॉलेज कैंपस में विद्यार्थियों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कॉलेज के शिक्षकों ने विद्यार्थियों को आजाद के महान जीवन परिचय से भी अवगत कराया। शिक्षकों ने बताया कि इतिहास गवाह है कि देश
 | 
Bareilly-महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद को पुण्‍यतिथि पर नारायण कॉलेज में दी गई श्रद्धांजलि

न्‍यूज टुडे नेटवर्क, बरेली। महान क्रांतिकारी चंद्रशेखर आजाद की पुण्‍यतिथि पर शनिवार को रिठौरा स्थित नारायण कॉलेज कैंपस में विद्यार्थियों ने दो मिनट का मौन रखकर उन्‍हें श्रद्धांजलि दी। इस दौरान कॉलेज के शिक्षकों ने विद्यार्थियों को आजाद के महान जीवन परिचय से भी अवगत कराया।

शिक्षकों ने बताया कि इतिहास गवाह है कि देश की धरती ने अनगिनत वीर सपूतों को जन्म दिया है। उन्हीं में से एक हैं चंद्रशेखर आजाद, जिन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में राम प्रसाद बिस्मिल, सुखदेव और भगतसिंह के साथ मिलकर ब्रिटिश हुकूमत की चूलें हिला दी थीं। आजादी की हद तक जाना और बेखौफ अंदाज दिखाना, यही मां भारती के सपूत चंद्रशेखर आजाद की पहचान रही है, जिसके चलते वह आज भी भारतीयों के दिलों में जिंदा हैं। 27 फरवरी 1931 को उन्होंने खुद को अंग्रेजों से घिरा पाकर अपनी ही पिस्तौल से खुद को गोली मार ली थी ताकि अंग्रेज उन्हें जीवित न पकड़ सकें।

शिक्षकों ने विद्यार्थियों को बताया कि 14 साल की उम्र में वो गिरफ्तार हुए और जज के समक्ष प्रस्तुत किए गए। यहां जज ने जब उनका नाम पूछा तो पूरी दृढ़ता से उन्होंने कहा कि आजाद। पिता का नाम पूछने पर जोर से बोले, ‘स्वतंत्रता’। पता पूछने पर बोले  -जेल। इस पर जज ने उन्हें सरेआम 15 कोड़े लगाने की सजा सुनाई। ये वो पल था जब उनकी पीठ पर 15 कोड़े बरस रहे थे और वो वंदे मातरम का उदघोष कर रहे थे। ये ही वो दिन था जब से देशवासी उन्हें आजाद के नाम से पुकारने लगे।

चंद्रशेखर आजाद कहते थे कि दुश्मन की गोलियों का, हम सामना करेंगे, आजाद ही रहे हैं, आजाद ही रहेंगे और इस कथन को चरितार्थ करते हुये चंद्रशेखर आजाद ने अंग्रेजों की पकड़ से आजाद रहने के लिये आखिरी गोली से स्वयं के प्राणों का उत्सर्ग मातृभूमि पर कर दिया।