हल्द्वानी-शिक्षिका की पीएचडी पर उठे सवाल, जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा

हल्द्वानी-कॉपी-पेस्ट करके पीएचडी की डिग्री हासिल करने की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं, लेकिन प्लेजरिजम सॉफ्टवेयर ने जो गड़बड़ियां पकड़ी है वो चौकाने वाली है। चंपावत जिले के एक महाविद्यालय में एक सहायक प्राध्यापक की पीएचडी की डिग्री को लेकर शिकायत आयी है। जिससे शिकायतकर्ता द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय को इस संबंध में शिकायत
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हल्द्वानी-शिक्षिका की पीएचडी पर उठे सवाल, जांच में हो सकता है बड़ा खुलासा

हल्द्वानी-कॉपी-पेस्ट करके पीएचडी की डिग्री हासिल करने की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं, लेकिन प्लेजरिजम सॉफ्टवेयर ने जो गड़बड़ियां पकड़ी है वो चौकाने वाली है। चंपावत जिले के एक महाविद्यालय में एक सहायक प्राध्यापक की पीएचडी की डिग्री को लेकर शिकायत आयी है। जिससे शिकायतकर्ता द्वारा उच्च शिक्षा निदेशालय को इस संबंध में शिकायत भेजी है। जिसमें शिकायतकर्ता ने शोध ग्रंथ पर सवाल उठाते हुए सहायक प्राध्यापिका के खिलाफ कार्यवाही की मांग की है। मामला चंपावत जिले में स्थित स्वामी विवेकानंद राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय लोहाघाट में तैनात इतिहास विभाग की प्रवक्ता विमला देवी से जुड़ा है।
शोधर्थिनी विमला देवी ने महात्मा ज्योतिबा फुले रुहेलखंड विश्वविद्यालय बरेली उत्तर प्रदेश से वर्ष 2012 पीएचडी के लिए थीसिस जमा की। जिस पर अब लखनऊ निवासी शिकायतकर्ता कौश्तुभ तिवारी ने उच्च शिक्षा निदेशालय हल्द्वानी उत्तराखंड से शिकायत कर इसकी जांचकर कार्यवाही की मांग की। शिकायतकर्ता का आरोप है कि शोधार्थिनी की 46 फीसदी प्लेजरिजम कंटेंट पाई गई।

जांच में जुटी कमेटी

वही शिकायतकर्ता द्वारा इसकी शिकायत उच्च शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष से भी की गई है जिसमे उच्च शिक्षा समिति के उपाध्यक्ष बहादुर सिंह बिष्ट ने बताया कि मामला बहुत गंभीर है । उन्होंने कहा कि अगर उच्च शिक्षा में इस तरह की बात सामने आ रही है तो वो जांच का विषय है । बहादुर सिंह बिष्ट ने कहा कि उन्होंने पूरे मामले में जांच कमेटी बैठा दी है साथ ही उच्च शिक्षा निदेशक व कुलपति को भी पूरा मामला बताकर जल्द दे जल्द कारवाही करने को कहा है।
जो दोषी होगा उसके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी , साथ ही उन्होंने बताया कि इसकी जांच रुहेलखंड यूनिवर्सिटी द्वारा भी की जा रही है जिसकी जल्द ही जांच रिपोर्ट आ जायेगी ।

लोहाघाट में तैनात है शिक्षिका

शिकायतकर्ता के अनुसार वर्तमान में सहायक प्राध्यापिका विमला देवी का शोध कार्य भारत के प्रथम राष्ट्रपति डा. राजेन्द्र प्रसाद के जीवन पर आधारित है। शिकायतकर्ता के अनुसार डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने खुद अपनी आत्मकथा (राजेन्द्र प्रसाद आत्मकथा, साहित्य संसार पटना की राजेन्द्र ग्रंथावली का प्रथम ग्रंथ) लिखने के बाद प्रकाशित भी कराई थी। इसी आत्मकथा को देखकर शोधार्थिनी ने पूरी तरह से हूँ ब हूँ शोध ग्रंथ तैयार किया है।

50 पृष्ठों को दोबारा लगाया

शिकायतकर्ता के अनुसार शोध ग्रंथ में लगभग 50 पृष्ठों को दोबारा अलग-अलग स्थानों पर लगाया गया है। इस प्रकार करीब 100 पृष्ठ एक जैसे ही है जो एक शोध ग्रंथ में नहीं हो सकते हैं। पृष्ठ संख्या 01 और पृष्ठ संख्या 131 एक समान है जबकि पृष्ठ संख्या 24, 25, 26, 27 और पृष्ठ संख्या 137, 138, 139, 140 एक समान है साथ ही ऐसे कई शोध ग्रंथ समान है ।इसके अलावा इस शोध ग्रंथ में जो भी संदर्भ लिखे गये है उसमें भी गलतियां इंगित की गई है। जिसका प्रमाण है कि जिस आत्मकथा को स्वयं डॉ. राजेन्द्र प्रसाद ने लिखा है उस आत्मकथा का एक भी संदर्भ नहीं लिखा गया है तथा इसके विपरीत बाकि कई लेखकों द्वारा उनकी आत्मकथा को संक्षिप्त रूप में लिखा गया है। फिलहाल पूरे मामले पर लोहाघाट कॉलेज में इतिहास की प्रोफेसर डॉ विमला देवी दे बात की गई तो उनसे संपर्क नही हो पाया ।