देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल ने शुरू किया था डोला-पालकी आंदोलन, ऐसे पौड़ी में अंग्रेज गवर्नर का किया था विरोध

जयानन्द भारती भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे। जिन्होंने डोला-पालकी आन्दोलन चलाया। यह वह आन्दोलन था जिसमें शिल्पकारों के दूल्हे-दुल्हनों को डोला-पालकी में बैठने नहीं दिया जाता था। लगभग 20 वर्षों तक चलने वाले इस आन्दोलन के समाधान के लिए भारती ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया। जिसका निर्णय शिल्पकारों
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देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल ने शुरू किया था डोला-पालकी आंदोलन, ऐसे पौड़ी में अंग्रेज गवर्नर का किया था विरोध

जयानन्द भारती भारत के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी एवं सामाजिक कार्यकर्ता थे। जिन्होंने डोला-पालकी आन्दोलन चलाया। यह वह आन्दोलन था जिसमें शिल्पकारों के दूल्हे-दुल्हनों को डोला-पालकी में बैठने नहीं दिया जाता था। लगभग 20 वर्षों तक चलने वाले इस आन्दोलन के समाधान के लिए भारती ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय में मुकदमा दायर किया। जिसका निर्णय शिल्पकारों के पक्ष में हुआ।

अंग्रेज गवर्नर को दिखाया काला झंडा

जयानन्द भारती का जन्म 17 अक्टूबर 1881 को उत्तराखंड के पौड़ी जनपद में हुआ। आजादी की लड़ाई में इनके योगदान को आज भी याद किया जाता है। 28 अगस्त 1930 को इन्होंने राजकीय विद्यालय जय हरिखाल की इमारत पर तिरंगा झंडा फहराकर ब्रिटिश शासन के विरोध में भाषण दिया। जयानन्द के इस भाषण ने छात्रों को स्वतन्त्रता आन्दोलन के लिए काफी प्रेरित किया।

देहरादून- उत्तराखंड के इस लाल ने शुरू किया था डोला-पालकी आंदोलन, ऐसे पौड़ी में अंग्रेज गवर्नर का किया था विरोध

जिसके बाद कई छात्र आजादी के लिए आगे बड़े। पौड़ी में इन्होंने अंग्रेज गवर्नर के सामने काला झंडा लहराया व ‘वन्दे मातरम’ का नारा भी लगाया। ‘गवर्नर गो बैक’ के नारे लगाते हुए इन्हें पुलिस ने गिरफ्तार किया। इन्होंने आर्य समाज के विचारों को गढ़वाल में प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जयानन्द भारती को गढ़वाल का गांधी भी कहा जाता है। 9 सितंबर 1952 में इनकी मृत्यु हो गई।